Sunday, 25 March 2012

वत्सला की कविताएं

मित्रो! इस बार उदाहरण में प्रस्तुत है वरिष्ठ कवयित्री वत्सला के सद्य प्रकाशित काव्य संकलन ’चाहा अनचाहा इसी खिड़की से’ कुछ चयनित कविताएं। वत्सला की कविताएं सामान्य ढर्रे से लिखी जा रही कविताओं से  कुछ हटकर हैं।  जिन्होंने वत्सला जी के पहले संग्रह ’यह जो दिखता है सागर’ पढा है, मेरे इस कथन के साक्षी होंगे। ’चाहा अनचाहा इसी खिड़की से’  संकलन की कविताओं को कवि के ’यह जो दिखता है सागर’ से  आगे की काव्य यात्रा कहा जा सकता है। इन कविताओं में कवि अपने बाहर से भीतर की यात्रा करता हुआ प्रतीत होता है, यह यात्रा साधारण नहीं है।   ये कवि के स्वयं से साक्षात होने की कविता है।  इन कविताओं  में  गहन-सूक्ष्म अनुभूतियां पूरी संवेदना के साथ अभिव्यक्त हुयी है। इन कविताओं में रमने के लिए कवि की तरह पहले आपको अपने मन में रमना पड़ेगा, वत्सला जी की इन कविताओं को पढते हुए मुझे ऎसा ही कुछ महसूस हुआ। कम से कम और जरूरी शब्दों में छोटे-छोटे बिम्ब रचती गहन अनुभूतियों की ये काव्य अभिव्यक्तियां पाठकों  को भीतर तक संवेदित-आंदोलित करेगी, मेरा विश्वास है। उनकी कविता बहुत ही कोमलता से एक स्त्री के मन के भीतर को जानने-बूझने की  का प्रयास करती है। कहीं प्रेम की छटपटाहट, कहीं पीड़ा, कहीं प्रलाप, निराशा-हताशा, शिकायतों के झंझावतों के बावजूद एक रास्ता खोजने का उपक्रम भी है। मछली कवयित्री के मन का पसंदीदा प्रतीक प्रतीत होता है, शायद यही वजह है कि उन्होंने मछली के प्रतीक 36 कविताओं की सीरीज लिखने में सफ़ल हो सकी हैं। ’चाहा अनचाहा इसी खिड़की से’ की अधिसंख्य कविताएं वह, तुम व प्रकृति को संबोधित करते हुए अपने मन के उद्वेगों को खोलती हुयी संग्रह की भूमिका लिखनेवाले प्रमोद कुमार के शब्दों,’प्रेम कविताएं एक अलग अहसास देती हैं। प्रेम शायद अपने अधूरे होने के सौंदर्य से अधिक अभिभूत करता है’ को सार्थक करता है।

वत्सला : एम.ए.(समाज शास्त्र), पी.एच.डी., डिप्लोमा-नेचुरोपैथी एवं योग
सृजन: यह जो दिखता है सागर, चाहा अनचाहा इसी खिड़की से(काव्य संग़ह), हम ही किसी बीज में(एक लंबी कविता), कुछ शब्द हमारे भी( काव्य संपादन) के अलावा देश की सभी लब्ध-प्रतिष्ठ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन

सम्पर्क :  1 स 4, पवनपुरी, बीकानेर(राज) मो. 09461872525



वत्सला की कविताएं


मछली की आंख: एक दुनिया

समंदर जहां था
कहां था वहां
था
मछली की आंख में
जहां
था
मन मेरा वहां

मछली
कहां से लाई
जल
तुमने जब भी
जानना चाहा
प्यास रह गयी
हर पल

वह
देख लेती है
जल के उस पार
चीर सकती है
दु:ख
समंदर का
पर वह
क्यों नहीं
समझ पाया
मन उसका

समंदर
जल पीता रहा
पोर-पोर
मछली का
उसमें हर बार
जल
होता गया अनंत

आज ये क्या हुआ
समंदर
बिना रीते ही जान गया
नदी का सूखना
और दर्द उसके
भर दिया उसे
आज
मछली ने ली है
एक आश्वस्ति की
सांस
*****

एक खिड़की खुली रहती है

मेरी
एक खिड़की खुली रहती है सदा
झांकते हुए कितने ही चेहरे
घर को टटोलते हैं
दरवाजे पर चाहे
लगा गया है सांकल, समय
जान-बूझकर
अब समंदर पर ताला तो
लग नहीं सकता
उसे भी हक है जानने का
खारे और मीठे का अंतर
जाना गया कि नहीं
पहचाना गया कि नहीं
कौन है जो खोलेगा यह द्वार
मैं हूं कि फ़ेंकती रही हूं सदा
चाहा-अनचाहा इसी खिड़की से
*****

उसकी आंखें

लेना चाहती रहीं थीं
उसकी आंखें
हर बार एक वादा
टूटने के लिए
मुट्ठी खाली है
या बंद
समझने में
एक उम्र गुजर जाती है
याद आते हैं
वे अनकहे वादे
उसकी आंखों में
कितनी मछलियां
लावे में
तैर जाती है
****

पीले बिच्छू

तुम सांप बने
ऎतराज नहीं किया
फ़िर संपोले दिए
प्रतिकार नहीं किया
तुम पयोधरों में
गड़ाए रहे
विषदंत
करते रहे
पीढियों को
ज़हरीला
सोचा
किसी एक दिन
नीलपर्णी
अपने कंठ में
समा लेंगे
तब रह जाओगे
शायद चंदनीय सर्प
पर आज
संपोले
बदल गए हैं
पीले बिच्छुओं  में
जो लील रहे हैं
जन्मदायिनी को
कहां हो जनमेजय
क्या कर सकोगे
फ़िर एक यज्ञ
पीले बिच्छुओं का
*****

प्रार्थना

वह सुनता है
प्रार्थना
खाली नहीं लौटाता
कभी प्रार्थित हाथ
पर
क्या जानते हैं
वे हाथ
प्रार्थना हो सके थे
स्वंय भी
किसी एक पल में
*****




























































0 comments:

Post a Comment

Popular Posts

©सर्वाधिकार सुरक्षित-
"उदाहरण" एक अव्यवसायिक साहित्यिक प्रयास है । यह समूह- समकालीन हिंदी कविता के विविध रंगों के प्रचार-प्रसार हेतु है । इस में प्रदर्शित सभी सामग्री के सर्वाधिकार संबंधित कवियों के पास सुरक्षित हैं । संबंधित की लिखित स्वीकृति द्वारा ही इनका अन्यत्र उपयोग संभव है । यहां प्रदर्शित सामग्री के विचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है । किसी भी सामग्री को प्रकाशित/ अप्रकाशित करना अथवा किसी भी टिप्पणी को प्रस्तुत करना अथवा हटाना उदाहरण के अधिकार क्षेत्र में आता है । किस रचना/चित्र/सामग्री पर यदि कोई आपत्ति हो तो कृपया सूचित करें, उसे हटा दिया जाएगा।
ई-मेल:poet_india@yahoo.co.in

 
;