Saturday 21 April 2012

रवि पुरोहित की कविताएं


आंखें
नहीं देखती अब
सांसारिक भरत-मिलाप,

घूरती है-
उजड़ती मांगों को/
महसूसती है
बेतुके
बारूदी सुरों को....
मित्रो! उदाहरण में आज आपके सामने हैं युवा कवि रवि पुरोहित। रवि पुरोहित कविता में एक ऎसा नाम जो जीवन की जीजिविषा की विषम परिस्थितियों और विसंगतियों में से कविता के कोमल क्षण ढूंढ निकालता है। रवि की कविता में  कहीं कोई अटपटापन, तिलिस्मी शब्द चमत्कार नहीं मिलेंगे, इसमें आपकी बहुत सरल साधारण प्रतीकों-बिम्बों के माध्यम से जीवन के  असाधारण नाद की अनुगूंज मिलेगी जो आपके पाठक को निश्चय ही उद्वेलित और आंदोलित करेगी।

जन्म: 05 जून 1968, श्रीडूंगरगढ,शिक्षा: बी.काम., एम.ए.(हिन्दी व राजस्थानी),शोध/सर्वे: मरूभूमि शोध संस्थान, श्रीडूंगरगढ में वर्ष 1989 से 1991 तक 3 वर्ष मानद शोध सहायक, ‘चूरू अंचल रा लोक देवता अर लोक मान्यतावां’  विषय पर शोध कार्य  चालू ,साक्षरता के क्षेत्र में सरकारी और गैर सरकारी प्रयास: दशा और दिशा,शिक्षा, समाज और चेतना में शैक्षिक परियोजना की भूमिका ।

सदस्यता:राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर की पाण्डुलिपि प्रकाशन सहयोग तदर्थ उप समिति का संयोजकीय दायित्व ( वर्ष 2011-12)स, राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर की सरस्वती सभा के सदस्य ( वर्ष 2006 से 2008 तक) ASIA PACIFIC WHO*S WHO esa iathc में पंजीबद्ध रचनाकार , राष्टभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ के आजीवन सदस्य व वर्तमान में संयुक्त मंत्री, राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ, सार्वजनिक पुस्तकालय, श्रीडूंगरगढ की आजीवन सदस्यता और प्रबंध समिति के पूर्व सदस्य, सत्संग समिति, श्रीडूंगरगढ के संस्थापक मंत्री, राजस्थान अधीनस्थ लेखा सेवा संघ की सक्रीय सदस्यता । 1996 से 1999 तक बाड़मेर जिले का मंत्री पद भार, 1989 से 1994 तक महिला और बाल विकास विभाग, अराजपत्रित  कर्मचारी संघ की चूरू जिला इकाई और बीकानेर संभाग का क्षेत्रीय मंत्री पद भार ।

लेखन: प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में कहानी, कविता, व्यंग्य, निबंध, आलोचना, लघुकथा, फीचर आलेख आदि का 1986 सें लगातार प्रकाशन,  आकाशवाणी के बीकानेर, चूरू, जोधपुर, जयपुर और बाड़मेर केन्द्रों से प्रचुर रचनावों का प्रसारण, दूरदर्शन तथा अन्य कई चैनलों सें विविध विधाओं की रचनाएं प्रसारित,कई सम्पादित संकलनों में रचनाएं संकलित ।
प्रकाशन:   चमगूंगो (आधुनिक राजस्थानी कविता संग्रह) 1991, हासियो तोड़ता सबद (आधुनिक राजस्थानी कविता संग्रह ) 1996, एक और घोंसला (हिन्दी कहानी संग्रह ) 1997, सपने का सुख (हिन्दी व्यंग्य निबंध संग्रह) 2006, तिरंगो (राजस्थानी बाल कविता संग्रह ) 2006, सेना के सूबेदार (हिन्दी कविता संग्रह ) 2006

सम्पादन:‘यादां रै आंगणियै ऊभा उणियारा’ (राजस्थानी रेखाचित्र संग्रह ), ‘राजस्थली’ (लोक चेतना की राजस्थानी तिमाही का पिछले 15 वर्षो से प्रबंध सम्पादन), ‘हस्तक्षेप’ (साहित्यिक फोल्डर के चार अंकों का सम्पादन), मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार, संस्कृति विभाग-भारत सरकार, राजस्थान साहित्य   अकादमी, उदयपुर, राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर, जवाहर कला केन्द्र, जयपुर, संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर, आई. सी एच आर आदि प्रतिष्ठित एजेंसियों  द्वारा आयोजित-प्रायोजित राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय और आंचलिक समारोहो का संचालन । राजस्थान शिक्षाकर्मी बोर्ड का अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशक आवासीय प्रशिक्षण शिविर का व्यवस्थापन|

पुरस्कार और सम्मान: राजस्थान सरकार द्वारा उत्कृष्ट साहित्य लेखन के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार ,राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर का ‘भगवान अटलानी युवा लेखन पुरस्कार’ 2008, नगर विकास न्यास, बीकानेर का ‘मैथिलीशरण गुप्त युवा लेखन सम्मान’ ;2007,  नगर विकास न्यास, बीकानेर का ‘पीथळ’ पुरस्कार ;2012,राव बीकाजी संस्थान, बीकानेर द्वारा ‘पंडित विद्याधर शास्त्री अवार्ड’ ;2008, त्रिलोक शर्मा स्मृति संस्थान, श्रीडूंगरगढ द्वारा ‘संवाद सम्मान’ ;2008, लायन्स क्लब इन्टरनेशनल का‘साहित्य शिरोमणी सम्मान’ ;2008, ज्ञान फाउण्डेशन, बीकानेर का ‘ज्ञान श्री सम्मान’ ;2008, स्व.श्री सीताराम राजपुरोहित स्मृति संस्थान, बीकानेर द्वारा ‘राजपुरोहित गौरव सम्मान’  2009, युवा लेखक संघ, बाड़मेर द्वारा ‘साहित्य मनीषी सम्मान’ ;1998, चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग द्वारा ‘युवा शक्ति सम्मान’ ;1998, मध्यप्रदेश युवा रचनाकार परिषद का ‘युवा कवि सम्मान’ ;1994, सहस्त्राब्दी हिन्दी सेवी सम्मान ;2001, युवा कवि अवार्ड ;1992, गुजरात युवा लेखक संघ सम्मान ;1995, राजपुरोहित युवा मंच सम्मान ;1994, उमराणी प्रकाशन, निम्बोळ का ‘साहित्य साधक सम्मान’, पेंशनर्स कल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए उपखण्ड प्रशासन, श्रीडूंगरगढ द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सार्वजनिक  सम्मान, उल्लाह खां सम्मान:2011 के अलावा दैनिक नवज्योति, दैनिक युगपक्ष, नवभारत टाइम्स-जयपुर, दैनिक राष्ट्रदूत, लोकमत, दैनिक भास्कर, दैनिक हिन्दुस्तान-दिल्ली सहित कई प्रतिष्ठित पत्रों के लिए मानद संवाद प्रेषण का कार्य ।

शोध : महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर द्वारा ‘रवि पुरोहित रै काव्य मांय सामाजिक चेतना’ विषय पर डॉ. मदन सैनी के निर्देषन में और ‘सेना के सूबेदार काव्य संग्रह में लोक चेतना’ विषय पर डॉ. मेघराज शर्मा  के निर्देशन में 2009 व 2010 में लघु शोध ।

सम्प्रति: राजस्थान सरकार की अधीनस्थ लेखा सेवा में कार्यरत ।

सम्पर्क:
रवि पुरोहित,79, सिविल लाइन्स, गांधी पार्क के सामने,बीकानेर (राजस्थान) 334001
मोबाईल-9414416252

रवि पुरोहित की कविताएं


आंखें : परिणति

आंखें
पहचानती है अब
समय की
धड़कन,

देखती है
लौकिक अटकलें,
टपकाती है
सिर्फ़
सिंदूरी खून......

आंसू
सूख जो गये हैं
व्यवस्थाओं के वशीभूत !
***

आंखें : अनुभव

आंखें
नहीं देखती अब
सांसारिक भरत-मिलाप,

घूरती है-
उजड़ती मांगों को/
महसूसती है
बेतुके
बारूदी सुरों को....

अभ्यस्त जो हो गई है !
***

आंखें : परिदृश्य

आंखें
नहीं ताकती अब
 वर्षा,
 तलाशती है
 योजनायें,
 खोजती है-
 दफ़्तरिया फ़ाइलें,
 निहारती है-
 फ़ैमिन

कुआ-निर्माण
और कर्ज मुक्ति के
 गुर,
बाबुओं की जेब में !

तजुर्बा जो ठहरा
साल-दर-साल का !
***

आंकड़े

आंकड़े ही देश को अब चला रहे हैं
आंकड़े ही मृत को जिन्दा बता रहे हैं !

ऐसा हूनर और कहां जीवित करे मृत को
आंकड़ों के भ्रमजाल में जीव कसमसा रहे हैं !

हेराफेरी आंकङों की रोटी का सवाल है
आंकड़ों के तीर ही घर कुछ जला रहे हैं !

कागज की नाव पर सवार हो तुम सदा
व्यवस्था के झूले में आंकड़े झूला रहे हैं !

अगर बचा हो जरा भी इंसान तुझ में
सोच जरा आंकड़े ही क्यों हमें लड़ा रहे हैं ?
*****

अपराधी कौन

महिला उत्पीड़न के 
लोमहर्षक दर्द
नहीं पहुंचते
अदालती चौखट तक,

‘फिर क्या हुआ ?’ का
यक्ष अदालती प्रश्न
लील जाता है
संवेदना की आग !

सुबूतों
और चश्मदीद गवाहों के उपक्रम में
झूल जाती है
न्यायिक व्यवस्था की 
प्रत्यर्पण ग्रंथियां,

मर्यादा
और इज्जत निर्वासन 
अब जरूरी हो गया है
निरापद
और व्यवस्थायिक न्याय के लिए !

न्याय के मंदिर नहीं
कानूनी दांव-पेचों के
अखाड़े हो गये हैं
शक्ति-प्रदशर्क न्यायालय 

दोनों पक्ष
उठाते हैं सौगंध गीता की
पैनी आंखों वाले
सूरदास के समक्ष,
फिर भी अपराधी
बोलता है झूठ
तन्मयता से बैखोफ !

कानून के सताये लोग
बकते हैं गालियां
बहरा है कानून !
अंधा है कानून !!
पंगु है कानून !!!

अपराधी कौन
गीता,
उसकी सौगंध/
रखवाला सूरदास
या निर्दोष की विपन्नता,
नहीं ढूंढ सकता यह !

इसे सिर्फ सुबूत चाहिए
जो निर्दोष के पास नहीं हो सकता !

कौन बदलेगा
इस व्यवस्था को !
कौन करेगा न्याय !!
निर्बलों की 
कन्या राशि का शास्त्र
कौन बदलेगा ?
*****
रेत होते सपने

दोनों ने मिल
मनोयोग से
बनाया
रेत का घरौंदा

उफान आया
तभी नदी में 
और ध्वस्त हो गये
स्वप्न सारे !
*****

बच्चे के रोने पर

रो मत मुन्ने
अभी बड़ा आदमी आ रहा है
इसलिए नहीं निकल सकते हम
छाती चौड़ी कर
इस स्वागत द्वार से !

पर चिन्ता न कर 
कल नाचेंगे हम
इसी द्वार पर
बिन नहाये/
नंगे बदन,
कीचड़ सने पांवों से...
जी-भर रौंदेंगे इसे !

तू 
रो मत मुन्ने !
*****

सोजू के नाम

सोजू
क्या तुम 
सचमुच मुझे चाहती हो ?

तो फिर
करीम की प्रेयसी-सी
क्यों नहीं चढती
मेरी गोद

नलिन की
नलिनी-सी
क्यों नहीं डालती
मेरे गले में बाहें ?

ललन की
लैला-सी
क्यों नहीं लजाती

क्यों नहीं लिपटती
कस कर
अमर की बेला-सी मुझसे ?

फाईल/पत्र या
कलम देने के बहाने हुई
तुम्हारे
देखे-अनदेखे अंगों की छुअन
करंट-सा मारती है मुझे !

ऐसा लगता है
जैसे तुम जान-बूझ कर
सट कर खड़ी होती हो
मुझसे
फिर सहसा सिकुड़ जाती हो
अनायास का
अहसास जताने के लिए !

मैं 
भीग-भीग जाता हूं ,
सांसें
तपने लगती है
धौंकनी की तरह

बहकी बहस-सी गड़बड़ाकर
तुम 
आंखें मिचमिचाती रहती हो अविरल
और फिर स्वयं ही
लजा कर
हो जाती हो लाल-लाल !

क्या इसे ही मान लूं
तुम्हारी
चाहत का अहसास ?

सोजू
क्या तुम मुझे चाहती हो ?
*****
  
दरवाजे से आहत मन

घर का 
बंद दरवाजा देख
लोग पूछते -
‘सब ठीक तो है !’
अब यदि 
दिख जाए खुला
लोग पूछते हैं
‘सब ठीक तो है !’

खुला रखें दरवाजे को
मनचले
मौका देखते हैं,
बंद करें गर दरवाजे को
चोर
नजर फेंकते हैं !

क्या करूं इस दरवाजे का
इसने
जीना किया मुहाल,
सोचता हूं 
बिन दरवाजे वाला घर हो
ताकि मैं भी चैन से जीऊं
ताकि सुधरे जीवन-चाल !

यदि तुम्हारे 
ध्यान में हो घर
जिस पर कोई नजर न हो,
शुकून-शांति पाऊं जिसमें
संवेदन से
बंजर न हो 
मुझे बताना
साथी मेरे,
आफत के इस चक्रव्यूह से
मुझे बचाना साथी मेरे !
*****



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